Thursday, December 10, 2009

पर क्या होता है

पहले सा
मैं भी अब
स्केच करना चाहता हूं पापा
पर क्या होता है
कि जैसे ही सादा कागज ले
बैठता हूं
उचटने लगता है मन
जाने क्या क्या दो
दिखने लगता है कापी पर
फिर मन ही नहीं करता
कुछ करने का

क्रिकेट तो खेलत ही हो सुनते हो
देखते हो माइकल का मून वॉक

हां पापा
उसकी तरह मैं भी
कर लेता हूं मूनवॉक
पर तीन ही स्टेप्स पे
डगमगा जाता हूं
वैसा बडा प्लेटफार्म मिले
तो मैं भी कर के दिखा सकता हूं
उसके जैसा
मैं लिखूंगा आपके ब्लाग पर
माइकले के बारे में
बहुत कुछ जानता हूं उसके बारे में
आपके बताता नहीं था
कि आप जाने कया सोचेंगे

हां टाइम मैग्जीसन का
एक अंक आया है माइकल पर

हां पापा
उसके जीवन की एक एक बात जानता हूं मैं

हां मन नहीं लगता
तो डांस ही करो कुछ दिन

ऋतु है ना पापा कौन...

हां हां

वह सबकुछ जानती है
पता नहीं कैसे कर लेती है सबकुछ
पेंटिंग,डांस,गाना सब कुछ

हां बेटे
लडकियां जादू जानती है
उसी से सीख लो कुछ

हां पापा उसी से सीख रहा हूं
मेरे ही ग्रुप में हैं वह
मुझसे एक साल पहले ही
ठीक हुआ था उसका कैंसर ...