पहले सा
मैं भी अब
स्केच करना चाहता हूं पापा
पर क्या होता है
कि जैसे ही सादा कागज ले
बैठता हूं
उचटने लगता है मन
जाने क्या क्या दो
दिखने लगता है कापी पर
फिर मन ही नहीं करता
कुछ करने का
क्रिकेट तो खेलत ही हो सुनते हो
देखते हो माइकल का मून वॉक
हां पापा
उसकी तरह मैं भी
कर लेता हूं मूनवॉक
पर तीन ही स्टेप्स पे
डगमगा जाता हूं
वैसा बडा प्लेटफार्म मिले
तो मैं भी कर के दिखा सकता हूं
उसके जैसा
मैं लिखूंगा आपके ब्लाग पर
माइकले के बारे में
बहुत कुछ जानता हूं उसके बारे में
आपके बताता नहीं था
कि आप जाने कया सोचेंगे
हां टाइम मैग्जीसन का
एक अंक आया है माइकल पर
हां पापा
उसके जीवन की एक एक बात जानता हूं मैं
हां मन नहीं लगता
तो डांस ही करो कुछ दिन
ऋतु है ना पापा कौन...
हां हां
वह सबकुछ जानती है
पता नहीं कैसे कर लेती है सबकुछ
पेंटिंग,डांस,गाना सब कुछ
हां बेटे
लडकियां जादू जानती है
उसी से सीख लो कुछ
हां पापा उसी से सीख रहा हूं
मेरे ही ग्रुप में हैं वह
मुझसे एक साल पहले ही
ठीक हुआ था उसका कैंसर ...
Thursday, December 10, 2009
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तुम भी इस कैंसर पर विजय पाओगे…ज़रूर पाओगे!!
ReplyDeletevijay pana hi hai..
ReplyDeleteshubhkamnayein
Anek shubh kamnayen ! Aap zaroor vijay paa lenge!
ReplyDeleteइस नए ब्लॉग के साथ आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. आपसे बहुत उम्मीद रहेगी हमें .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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